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हताशा - निराशा पर विजय कैसे पायें ?


           जीवन एक अद्भुत सफ़र है l जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेकानेक अनुकूल - प्रतिकूल घटनाएँ घटित होती है l जीवन धुप - छाँव  का खेल है l जो इस खेल को समझकर विवेक से देखेगा वह इस जीवन का असली आनंद ले पायेगा l जैसे आकाश में बादल आते और  देखते- देखते चले जाते है l वे कभी भी आकाश में एक जगह अपना डेरा नहीं डालते है l कुछ क्षण के लिए आते है और पसार हो जाते है l ऐसे ही हर एक मनुष्य के जीवन में होता है l

           जीवन में कही बार अनुकूलता - प्रतिकुलता , सुख - दुःख , यशापयश  , हताशा -निराशा  आदी के बादल आते है , वे कुछ दिन के मेहमान होते है , अपनी अच्छी -बुरी छाप छोड़कर पसार हो जाते है l
              जीवन में आनेवाली विघ्न -बाधांएँ  सब आ - आ कर जानेवाली है l कुछ अज्ञानी लोग जानेवाली विपदाओंको कसकर पकड़ते है l विपदाओंका चिंतन करते हुये दुःख की खाई में डुबते जाते है l जब की यह सत्य है कि कोई भी परिस्थिती सदा नहीं रहती है , फिर भी मनुष्य  अपनी नादानिका परिचय देता है l
     कुछ लोगोंका मनोबल इतना कमजोर होता है कि जीवन मै थोडीसी भी प्रतिकुलता आती है तो पुरे टूट जाते l ना उमेद हो जाते है l ना उमेद होकर ऐसी धारणा बना लेते है कि मानो सब कुछ समाप्त हो गया , अब बाकि कुछ बचा ही नहीं l यह धारणा बड़ी खतरनाक है l ऐसे समय एडिशन जैसे महान वैज्ञानिक का जीवन सामने लाना चाहिए l एडिशन ने बल्ब की खोज के लिए ९९९ प्रयोग किए थे ,उन्हें हर बार याने  ९९९ बार असफलता मिली थी फिर भी वे निराश  नहीं हुए l १००० वे प्रयोग के लिए वे जुट गए और उन्हें सफलता मिल गयी l अगर एडिशन चार - दो प्रयोग के बाद हताश , निराश हो जाते तो दुनियाको बल्ब मिलता क्या ? विश्व के ऐसे महान वैज्ञानिक , विचारक , संत, महात्माओंके जीवन से कुछ सीख लेकर नए उत्साह से, नयी उमंग से आगे बढ़ने का संकल्प करना चाहिए l 
             इस  मृत्यु लोग में स्थायी कुछ भी नहीं है l ना सुख स्थायी है , ना दुःख l फिर घबड़ाने की क्या जरुरत है ?  मनुष्य जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं है ,स्थायी होने का केवल भ्रम है l इतनी बात अगर समझ में आती है , तो उसका जीवन सुमधुर हो सकता है , जीवन जीने की कुंजी हाथ लगनेसे हर हाल में खुश रहने की कला आ जाती है l
     अपना विवेक सदा जाग्रत होना चाहिये l जीवन में आनेवाली छोटी -मोटी विघ्न - बाधाओंसे घबराकर अपना संतुलन खोना नहीं चाहिये l हताशा - निराशा को कुछ क्षण के बादल समझकर हिम्मत से आगे  कदम बढ़ाना चाहिये l
             एक मंत्र सदा याद रखना चाहिये - " यह भी समय गुजर जायेगा "  यह कुछ दिन का मेहमान है l इस दृढ़ धारणा से आगे बढ़ना चाहिये l मै अनंत की संतान हूँ , मुझे कोई विघ्न -बाधा दबा नहीं सकती l इन विचारोंको बार -बार दोहराना चाहिये l परेशानीयोंके बादलोंमे घिरा हुवा मनुष्य  अनुभव करेगा  जीवनमेसे हताशा -निराशा के बादल कब चले गए इसका पता ही नहीं चलेगा l हताशा - निराशा पर विजय पानेका यही सुगम उपाय है - यह भी समय गुजर जायेगा यह सूत्र पक्का धान में रखकर विघ्न - बाधाओंको कुचलकर दृढतासे आगे बढ़ना चाहिये l   जीवन में आनेवाली हर कठिन परिस्थिति  मनुष्य को मजबुत करनेके के लिए , गलतियोंको सुधारने  के लिए  आती है l यह बात सदा ध्यान में रखनी चाहिए  l मनोबल मजबुत करके हताशा -निराशा को जीवनसे भगा देना चाहिए l                                                                       
                                                                       
  
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