अपार सुख , शान्ति , आरोग्यता , आनंदमय ,सर्व संपन्न ,श्रेष्ठ जीवन निर्माण करना हर के हाथ की बात है l हर एक के भीतर अपार शक्ति , सामर्थ्य का विशाल भंडार मौजूद है l केवल उस ओर दृष्टी डालनी है l हर एक का जीवन उनकी सोच -विचार पर निर्भर होता है l जैसी भावना , कल्पना ,मान्यता , धारणा सोच हो वैसा ही हर एक का जीवन होता है lजीवन निर्माण का अधिकार स्वंयको है lहर व्यक्ति के पास जीवन निर्माण की कुंजी होती है l
इसलिए हर मनुष्य को निम्न प्रश्नों का जबाब ढुंडना चाहिए l
1) मै मेरे चित्त पर , मन पर किस प्रकार के संस्कार डालता हूँ ?
2) मै मेरे मन पर किस प्रकार की भावना के बीज डालता हूँ ?
3) मेरी भावनाओंका दर्जा क्या है ?
4) मेरा विश्वास किसपर है ?
5) मै मेरे मन में किस प्रकार के भाव पैदा करता हूँ ?
6) मै इस क्षण किस भाव से भरा हुवा हूँ ?
7) मेरी सोच क्या है ?
8) मेरी मान्यता , धारणा किस प्रकारकी है ?
9) मेरी मान्यता एवं धारणा का क्षेत्र क्या है ?
10) जीवन के बारे में मेरी सोच क्या है ?
11) क्या मै मेरी योग्यताका सदुपयोग करता हूँ ?
12) क्या मै मेरी योग्यता विकसित करने का प्रयास करता हूँ ?
13) क्या मुझे मेरे दोष , दुर्गुण दिखते है ?
14) क्या मै मेरे दोष , दुर्गुण निकालने में सक्षम हूँ ?
अगर हर कोई पूरी ईमानदारी से अपने जीवन को निहारता है , उपर्युक्त प्रश्नों का जबाब ढुंडता है , तो निश्चितरूपसे उसका जीवन बदल सकता है l
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