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वायरस - एन्टीवायरस .......!

हम जब भी वायरस की बात करते है तो हमारे सामने विभिन्न प्रकारके 
रोग  आते है  l  वायरस माने  विषाणु ,विभिन्न प्रकार के विषाणु जब मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते है , तब वे जानलेवा भी शाबित होते है , इन विभन्न विषाणु से बचने के लिए दवा लेनी पढती है l

 आज के युग में विश्व के  हर बच्चे के जुबानपर  कंप्यूटर  है l   कंप्यूटर  की बात जब होती है तब वायरस -एंटीवायरस की बात आती  ही  है l 


वायरस अगर हार्डड्राइव में प्रवेश करता है तो सारे डेटा को क्षति पहुँचाता है , किये कराये पर पानी फेर देता है l जैसे बीमारी से बचने के लिए दवा ली जाती है ऐसेही कंप्यूटर वायरस से बचने के लिए एंटीवायरस का इस्तेमाल किया जाता है l एंटीवायरस से कंप्यूटर पर होनेवाले भयानक वायरस के हमलेसे बचा जा सकता  है l एंटीवायरसव्दारा   कंप्यूटर को सुरक्षा मिलने से  कंप्यूटरके अन्दर का डेटा सुरक्षित रहता है  l हम लोग भी शरीर पर होनेवाले  विषाणु के हमलेसे दवा लेकर बच जाते है l 
      लेकिन ऐसा भी वायरस होता है जिस पर कोई दवा काम  नहीं आती है l  वो वायरस ,जो हमारे जीवन को ही ध्वंस कर देता है  ,  हमें पूर्णता: मिटा सकता है l आजतक लाखों -करोड़ों लोग उस महाभयानक , महाख़तरनाक वायरस के शिकार होकर मिट गए है l आप उस महाखतरनाक वायरस के शिकार न हो यह हमारी शुभकामना है l 
शरीर में प्रवेश करनेवाला वायरस हो ,या कंप्यूटर में प्रवेश करनेवाला वायरस हो l वे  भीतर  प्रवेश करते समय हमें कभी दिखते नहीं है l लेकिन ऐसा  भी  वायरस है जिसे हम जानबुझकर हमारे भीतर घुसने  देते है l उसके भयानक परिणाम भी हमें अच्छी प्रकारसे दिखने पढते है फिर भी हम  उसकी ओर नजर अंदाज करते है l इस  वायरस का प्रवेश सीधा हमारे मस्तिष्क में होता है l यह वायरस मन और इन्द्रियोंव्दारा मस्तिष्क में प्रवेश करके हमारे जीवन को ध्वंस करने  में जुट जाता  है l 

 आइये ,जाने  आखिर वह महाखतरनाक  वायरस है क्या ? 

सबसे बड़ा वायरस है अहंकार ,उसके पीछे है चिंता , भय ,काम  ,क्रोध , व्देष , ईर्ष्या , घृणा ,तिरस्कार , संशय , मद ,मोह ,लोभ , दुर्विचार ,दुर्भावना , वासना , नकारात्मक विचार , छल -कपट , बेईमानी ,जलन ,  धोकेबाजी , लालच , अज्ञान ,परनिंदा ,परदोष दर्शन , पाप,आलस्य ,अकर्मण्यता , अविवेक ,शत्रुता आदि सबके सब महाभयानक विनाशकारी वायरस है l यह हमारे भीतर जितने बढेंगे उतना उतना हमारा जीवन क्षतिग्रस्त होते जायेगा l  इन वायरस से हम बच सकते है ,जैसे कंप्यूटर में एंटीवायरस का उपयोग करके कंप्यूटर की सुरक्षा की जाती है ऐसा ही हमारे मस्तिष्क में मन -इन्द्रियोंव्दारा घुसनेवाले  इन वायरस को सद्गुणरूपी एंटीवायरस व्दारा  क्षतिग्रत होनेवाले  हमारे जीवन को हम  बचा  सकते है l 
जाने वह एंटीवायरस क्या है l 

जैसे आग बुझानेके लिए पानी का उपयोग किया जाता है ,ऐसे ही हमारे भीतर डेरा डालकर बैठे हुए विकाररुपी  वायरस को निम्न सद्गुणरूपी एंटीवायरसव्दारा हमारा जीवन दिव्य बना  सकते  है ,साथ -ही - साथ हम नारकीय जीवन से छुटकारा भी पा सकते है l 


एकांत स्थान में बैठ कर अपने भीतर के  दुर्गुणोंको  खोजे l


 जो दुर्गुण दिखने पड़े उसके विपरित अच्छे गुण अपने भीतर भरे l जैसे अशांति है तो शांति को अपने भीतर भरे , भय है तो निर्भयताको भरे l लगातार यह अभ्यास करनेसे भीतर के विकार , दोष ,दुर्गुण धीरे -धीरे पसार होते जायेंगे l 


किस प्रकारके वायरस पर कौनसा एंटीवायरस अच्छा परिणाम देगा यह
निम्न वायरस - एंटीवायरस की सूचि से जाने l 

वायरस 


एंटीवायरस 



   चिंता .........................................................निच्छिन्तता 
                                                   
   व्देष ........................ ..................................करुणा , मैत्री

  भेदभाव .......................................................समता 

  कठोरता ......................................................कोमलता, मृदुता 

  खिन्नता .....................................................प्रसन्नता   

  पाप .............................................................पुण्य   

  मोह  ............................................................निर्मोह   

  क्रोध ............................................................शान्ति  

  जड़ता ..........................................................चेतनता    

  ईर्ष्या ...........................................................आत्मभाव  

  शत्रुता ...........................................................मित्रता 

  विकार ...........................................................पवित्रता   

  अहंकार ..........................................................निरंकार

  अभिमान ...........................नम्रता ,विनयशीलता ,निराभिमानिता    

  कपट ..............................................................निष्कपटता    

  तिरस्कार  .......................................................दया , क्षमा 

 अकर्मण्यता ...............................................उत्साह , कार्य तत्परता

  घृणा          .......................................................प्रेम 

 हताशा        ...................................................... उत्साह 

 निराशा ............................................................. आनंद 

आपके भीतर जो भी दुर्गुण दिखे उसके विपरित सद्गुण अपने भीतर भरे और जीवन को ध्वंस करनेवाले दुर्गुणरूपी वायरस से बच  कर अपने जीवन को दिव्य बनानेका शिव संकल्प करे l 


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